Sad zindagi shyari? हमारी जिंदगी में खुशियां -गम उतार-चढ़ाव लगा रहता है और यह जिंदगी (life) में इसलिए जरूरी है ताकि हम अपनी जिंदगी के हर एक लम्हे का अलग तरीके से आनंद ले सकें
उपर वाले ने हर किसी को अलग-अलग काबिलियत (Power) के साथ भेजा है हम सभी अपनी जिंदगी में कहीं ना कहीं बहुत सारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं और हर रोज सुलझा रहे हैं
आज आप हमारे इस Post में कुछ ऐसी शायरी पढ़ने वाले हैं जो आपके अपनी जिंदगी की असली सच्चाई बताती हैं जी हां यह शायरी हमारी अपनी जिंदगी बहुत सी सच्चाई को बताती हैं जो कि लफ्जों में बयां कर के गहराई तक समझाने की कोशिश की गई है
बहुत सारे शायरी होंगे जो आपको सीधे अपनी जिंदगी से जोड़ देगी कहीं ना कहीं आपको ऐसा लगेगा जैसे ये तो मेरी जिंदगी की हकीकत बता रही है
उम्मीद करता हमारी का कलेक्शन बहुत ही अच्छा लगेगा अच्छा लगे एक बार हमारे इस पोस्ट को शेयर जरुर करे
Sad zindagi shayari in hindi
खेल है जिंदिगी,
आँख मिचौली का..
मजबूरियाँ छिपी है,
हर काम के पीछे।
स्वार्थ छिपा है,
हर सलाम के पीछे।
मैं सही तुम गलत के
खेल में ना जाने
कितने ढल गए…
मुझे क्या हक़,
मैं किसी को मतलबी कहूँ,
मैं खुद ही खुदा को मुसीबत में याद करता हूँ…
मैंने जिंदिगी की गाड़ी से वो साइड ग्लास ही हटा दिए,
जिसमे पीछे छूटते रस्ते और बुराई करते लोग नजर आते थे…
जहर दुकान पर नकली,
और जुबान पर असली मिलता है…
परेशानियां हमे भी है साहब,
पर मुस्कराने में क्या जाता है..
एक अलग सी पहचान बनाने की आदत है हमें,
ज़ख्म हो जितना गहरा
उतना मुस्कुराने की आदत है हमें …
रोज एक नई तकलीफ,
रोज एक नया गम
ना जाने कब एलान होगा
की मर गए हम …
गुरूर किस बात का है साहिब,
मरने के बाद
तेरे अपने भी छूकर हाथ धोयेंगे…
एक तम्मना थी की
जिंदिगी रंग बिरंगी हो,
और दस्तूर देखिए जितने मिले
गिरगिट ही मिले…
होगी तुम्हारे पास ज़माने भर की डिग्रीया
छलकती आँखों की ना
पढ़ ना पढ़ पाए तो अनपढ़ हो तुम…
सुंदरता मन की रखो,
फेसवाश से सिर्फ मुँह चमकता है दिल नहीं…
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कैसा अनोखा ये
संसार है
दिल से नहीं जरुरत से
प्यार है…
वो खिलवाड़ करते रहे
और हम इश्क़ समझ बैठे…
मोहब्बत का पता नहीं मगर,
इंसान नफरत दिल से करता है…
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आपके बारे में 10% जानने वाले लोग
दूसरे लोगों को 100%
बता रहे होते है …
जिंदिगी में अगर इज्जत और प्यार दोनों चाहते हो
तो हमेशा वफादार रहो…
बात लगाव और एहसास की होती है,
वरना मैसेज तो कंपनी वाले भी कर देते है…
भूलना सीखिए ज़नाब
लोग तभी आपको याद करेंगे…
मैं शौक दवा का रखता हूँ,
बीमार थोड़ी हूँ
तुम चाहती हो मैं रोज मिलू
अख़बार थोड़ी हूँ…
नाराजगी मुझसे कुछ ऐसे भी
जताती है वो
ख़फ़ा जिस रोज हो
काजल नहीं लगाती है वो …
डर ये है की कहीं उसे खो, दू,
सच ये है की कभी उसे पाया ही नहीं …
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सस्ते में लूट लेती है दुनिया अक्सर उन्हे,
जिन्हें खुद की कीमत का अंदाजा नहीं होता है..
आज ज़िन्दगी में जिम्मेदारीय क्या बढ़ी
मुझे मेरा बचपन याद आ गया