इस प्यार ने देखो तबाही मचा राखी है,
आधी दुनिया पागल हो चुकी है,
तो आधी को शायर बना रखी है
अब तो आदत सा हो हो गया तुम्हें हर समय सामने देखने का
अब इसे इश्क़ कहा जाए या इश्क़ में पागलपन ये हमे नहीं पता
प्यार करने वाले पागल हो जाते है प्यार में,
बाकि कसर पूरी हो जाती है मोहतरमा के इंतज़ार में,
मगर ये दिलरुबा नहीं समझती गोलगप्पे खाती है हर बाजार में
आज बरसो बाद मिली तो गले लगा कर खूब रोई
वो कभी जिसने कहा था तेरे जैसे हजारों मिलेंगे
कोई कितना भी हिम्मत वाला क्यों ना हो,
कभी ना कभी कोई रुला ही देता है।