कभी- कभी नाराजगी भी जरुरी है,
क्यूंकि पता तो चले हमे मनाने वाला भी कोई है या नहीं
अजीब सा सिल सिला था वो दोस्ती का,
जो कुछ दूर तक चला और इश्क में बदल गया
कोई मिले इस तरह कि फिर कभी जुदा न हो,
समझे मेरा हर मिजाज और कभी नाराज़ न हो,
अपने एहसास से बाँट ले सारी मेरी तन्हाई,
इतनी मोहाब्बत दे जो पहले किसी ने किसी की न हो
काश ! दिलो का भी कोई चुनावी मौसम होता,
ज़ज्बातों के गड्ढे पाँच साल में ही सही, कम से कम भर तो जाते।
बहुत गुरूर था उसको अपनी ख़ूबसूरती पर,
मेरी माँ से मिली तो पानी पानी हो गयी
बहुत मजबूत हूँ मैं
जहा मर जाना चाहिए
वह मुस्करा देता हूँ
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नहीं है कोई शिकायत गैरों से जनाब,
लेकिन उम्मीद अब अपनों से भी नहीं है
जीवन में दो काम बहुत मुश्किल है
जिस व्यक्ति से प्यार ना हो उसके साथ रहना
और जिससे प्यार हो उसके बिना रहना
अच्छा नहीं लगता बार-बार किसी को अपनी याद दिलाना
अगर अहमियत होगी तो लोग खुद याद कर लेंगे
हौसलों का सबूत देना था इसलिए
ठोकरें खा कर मुस्करा दिए
अहंकार भी आवश्यक है,
जब बाते अधिकार, चरित्र
और सम्मान की हो तो
एक कशिश है उनकी सुर्ख अदाओ में
वो जब भी मुस्कुराती है सच में कहर ढाती है
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मोहब्बत के नशे में हम यूँ गुम हो गए
की हर लम्हा हम बस आपके खयालो में खो गए
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अगर बुरा ना मानो तो एक बात कहू
मुझे जरुरत है आपकी इस ज़िन्दगी के सफ़र में
आज बरसो बाद मिली तो गले लगा कर खूब रोई
वो कभी जिसने कहा था तेरे जैसे हजारों मिलेंगे
कोई कितना भी हिम्मत वाला क्यों ना हो,
कभी ना कभी कोई रुला ही देता है।