Chand Shayari: चंद्रमा को हमेशा से ही प्रेम और रोमांस से जोड़ा गया है। चांद प्रेमी जोड़ों का गवाह रहा है। प्रेमी-प्रेमिका अक्सर चांद की रोशनी में घूमना पसंद करते हैं। चांद को प्रेम का साक्षी माना जाता रहा है।
प्रेमी जोड़े चांदनी रात में बैठकर अपने प्यार की बातें साझा करते हैं। कई फ़िल्मी गानों में चांद की रोशनी को प्यार का प्रतीक बनाया गया है।
कवियों ने भी कई कविताएँ चांद पर लिखी हैं। चांद को प्रेम का द्योतक माना गया है। कवियों ने चांद की खूबसूरती का वर्णन किया है। चांद को देखकर प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे का चेहरा देखने की कल्पना करते हैं। चांद की आभा से प्रेरित होकर प्रेमी जोड़े रोमांस करते हैं।
इस तरह चांद का प्रेम और रोमांस से गहरा नाता है। चांद को हमेशा से ही प्यार की अभिव्यक्ति का माध्यम माना गया है। चांद प्रेमियों को प्रेरणा देता रहा है और आगे भी देता रहेगा। इसलिए आज मैं आपके लिए Chand Shayari लायी हु अपने प्रेमी को जरुर शेयर करे।
चाँद शायरी
है ये कशिश कैसी,
कैसे वो नूर साथ ले लूँ,
एक रात के लिए चाँद,
क्यूँ ना उधार ले लूँ।
है चाँद सितारों में चमक तेरे प्यार की,
हर फूल से आती है महक तेरे प्यार की !
हर ख्वाइस पूरी हो हर दुआ कबूल हो,
तुम्हारी चाँद से चेहरे पे हमेशा मुस्कान हो।
वो थका हुआ मेरी बाहों में जरा सो गया था,
तो क्या हुआ,
अभी मैंने देखा है चाँद भी किसी ,
शाख-ए-गुल पे झुका हुआ !
वो चाँद है तो क्या हुआ जनाब,
हम भी दरिया की तरह
उनके अक्स को जहन में उतार लेंगे।
वो चाँद तो हमेशा से खामोश रहा है ,
शोर तो सितारों ने टूटकर मचाया है।
वो चाँद को देखती रही हम उसे देखते रहे,
गली के सब लोग बस हमें देखते रहे।
रात भर करता रहा
तेरी तारीफ चांद से
चाँद इतना जला की
सुबह तक सूरज हो गया !
रात को जब चाँद सितारे चमकते हैं
हम हरदम आपकी याद में तड़पते हैं
आप तो चले जाते हो छोड़कर हमें
हम रात भर आपसे मिलने को तरसते हैं !
ये रातें भी मुझे अब उन रातों सी नहीं लगतीं,
ना सितारे होते हैं ना पास मेरा चाँद होता है।
ये चाँद रोज आता है,
और मेरी यादो की जख्मो को
खुरेदकर चला जाता है।
यह कैसे धोखे हमने खाए हुए हैं
रात गुजर गयी और हम चाँद सजाए हुए हैं !
मोहब्बत ने मांग की थी सितारों की,
हमने उन्हें आइने में चाँददिखा दिया।
मैं बादल बन जाऊँ,
तुम चाँद बन जाना,
तुम्हारा नूर कोई चुरा ना ले,
तुम मुझमें कहीं छुप जाना।
मैं अपने चाँद का चांद हूं,
ख़ूबसूरत तो इतना नहीं
पर बेदाग एक अहसास हूं।
मुमकिन है दाग़ हो,
चाँद बनने की ख़्वाहिश जो थी।
मुझे तो रोक लिया उसे कैसे रोकोगी तुम
वो जब चांद तुम्हें देखेगा उसे कैसे टोकोगी तुम !
मत पूछ मेरे जागने की वजह ऐ चाँद,
तेरा ही हमशक्ल है जो सोने नही देता।
मत कर गुरूर तू ऐ चाँद अपनी इस खूबसूरती पर,
देख,आज भी तू अकेला है इतनी ऊंचाईयो पर।
बेसबब मुस्कुरा रहा है चाँद,
कोई तो साजिश छुपा रहा है चाँद !
बिखरे हुए लम्हें अब हम ना समेट पाएंगे,
चाँद चला गया आसमां से,
सितारें कब तक ठहर पाएंगे।
बादल चाँद को छुपा सकता है
आकाश को नहीं हम सब को
भुला सकते हैं आपको नहीं !
बड़ा मगरुर रहता है,
खुद पे गुरुर रखता है,
वो चाँद है जनाब,
फलक से जमीन पर कहर बरसाता है।
पलके झुकाके कुछ नज़ाकत के साथ यूं शरमाते हैं,
जब वो प्यार से हमें अपना चाँद बुलाते हैं।
ना छत पर है कभी आता
ना घर से कभी निकलता है
मेरा महबूब जैसे चांद सा
घटाओ में छिपता है..!
ना चाँद का ख्वाब है,
ना सितारों की चाहत है,
जिंदगी की उडान के लिये तो,
खूला आसमान ही काफी है।
न तारे न चाँद न उनका आसमां चाहिए,
मुझको तो बस मेरी मोहब्बत की सलामती चाहिए।
न चाहते हुए भी मेरे लब पर
ये फरियाद आ जाती है
ऐ चाँद सामने न आए
सनम की याद आ जाती है !
न चाँद की चाह न फलक का इंतजार है,
कैसे कहूँ मुझे बस तुझसे ही प्यार है !
देखने के बाद आपको हमें होश कहां रहेगा
हम रहेंगे वहाँ जहाँ चांद हमारा रहेगा !
दीदार- ए- चांद वाली रात आयी है
बाजारों में रौनक और घरों में
खुशियों की सौगात लायी हैं !
तेरे चेहरे से ऐसे नूर झलकता है,
जैसे दूर आसमान में चाँद चमकता है !
तेरी बातों में हमेशा चाहत झलकती है
सनम चांद ही नजर आए हरदम,
चेहरे में तुम्हारे जानम !
तेरा चेहरा जैसे चमकता कोई चाँद हो,
तेरे हुस्न पर काला तिल जैसे चाँद में कोई दाग हो !
तू बिलकुल चाँद की तरह है,
नूर भी, गुरूर भी और दूर भी !
तू चाँद और मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
लोग तुम्हे दूर से देखते नजदीक से देखने का,
हक बस हमारा होता !
तुम भी बिलकुल उस चाँद की तरह हो,
खूबसूरत भी हो और बहुत दूर भी हो।
तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैंने,
चाँद कहता रह गया मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ !
तस्वीर बना कर तेरी आस्मां पे टांग आया हूँ,
और लोग पूछते हैं आज चाँद इतना बेदाग़ कैसे है।
तलब सबको है चाँद निहारने की,
जरुरते कहती है सुबह बनी रहे।
जो तु समझे तो,
चमकते चाँद का सितारा हु मैं,
जो ना समझे तो अवारा हु मैं।
जैसे चाँद और तारों के एक दूसरे के पास होने का आभास होता है,
बस कुछ वैसा ही किस्सा है हम दोनों का भी।
जिस चाँद के हजारों हो चाहने वाले
वो क्या समझेगा एक सितारे की कमी को !
जिक्र तेरी खूबसूरती का जो किया,
तो वो चांद भी शरमाया,
हम किस्से पर किस्सा सुनाते गए
वो बादलों में गुम होता गया !
जिंदगी में मानो पूनम की
रोशनी सा उजाला आया है
जब से मैंने उसे अपना
चांद बनाया है..!
चाहते तो हम भी तुम्हे एक जमाने से थे
मगर ये चांद कब मोहब्बत
करने वालो का हुआ है.!!
चांद सा मुखड़ा डाल
वो छत पर जो आती है
हाय क्या अदाकारी है
वो हमसे नजरे चुराती है.!!
चाँद से बातें तुम्हारी हर रोज करते हैं,
देखो दूर होकर भी हम कितने पास रहते हैं।
चाँद से बाते करता है,
अपने चाँद की बाते करता है,
ये पगला आशिक,
रातभर चाँद पाने के तरीके सोचा करता है।
चाँद से प्यारी चादनी,
चादनी से प्यारी रात,
रात से प्यारी जिन्दगी,
जिन्दगी से प्यारे हो आप !
चाँद से ऐतबार करूँ,
चाँद से इकरार करूँ,
चाँद का इज़हार करूँ,
चाँद से ही प्यार करूँ,
एक चाँद ही तो हैं जिसका मैं इन्तजार करूँ।
चाँद में नज़र कैसे आए तेरी सूरत मुझको
आँधियों से आसमाँ का रंग मैला हो गया !
चाँद ने भी आज संगीत का दामन थामा है,
यकीनन आज उसका भी दिल टूटा होगा।
चाँद नहीं आया तो क्या हुआ धीरे धीरे उसका सुरूर आ रहा है
तुम नहीं हो तो क्या हुआ तुम्हारी यादों से चेहरे पर नूर आ रहा है।
चाँद तारो में नजर आये चेहरा आपका,
जब से मेरे दिल पे हुआ है पहरा आपका !
चाँद तारो की कसम खाता हूँ
मैं बहारों की कसम खाता हूँ
कोई आप जैसा नजर नहीं आया,
मैं नजारों की कसम खाता हूँ !
चाँद को देखूँ तो तेरा चेहरा नजर आता है,
मैं इश्क में हूँ इतना तो मुझे समझ में आता है !
चाँद के साज़ पर रोशनी गीत गाते हुए आ रही है,
तेरी ज़ुल्फ़ों से छनकर वो देखो चांदनी नूर बरसा रही है।
चाँद के लिए सितारे अनेक है
लेकिन सितारों के लिए चाँद एक है
आपके लिए तो हज़ारों होंगे
लेकिन हमारे लिए आप एक हैं !
चाँद के दीदार में तुम
छत पर क्या चली आई
शहर में ईद की
तारीख मुक्कमल हो गयी !
चाँद की तरह ही खिले तेरी मुस्कान,
तारो की तरह सजे तेरे अरमान,
तू उदास ना हो कभी,
तेरी जिंदगी में खुशियाँ हो बेशुमार !
चाँद की खूबसूरती पर एक पहरा दिख रहा है,
आज मुझे चाँद में महबूब का चेहरा दिख रहा है !
चाँद का हुस्न भी जमीन से है,
क्यूंकि चाँद पर चाँदनी नहीं होती !
चाँद अपने आप को कहते हो तुम,
आओ देखें हो गई है रात भी !
ख्वाब देखने की मुझे ख्वाहिश नहीं,
मैं तो रात गुजारता हूँ चाँद देखते-देखते !
खोया हुआ है आजकल सितारों की महफिल में,
मेरा चाँद मुझसे बेवफाई कर बैठा है।
ख़ुशनशीबी है हमारी चाँद के साथ बात होती है,
बदनसीबी है हमारी चाँद के बिना रात होती है।
खुद को जला रखता है रौशन सूरज जहां सारा,
लेकिन तब भी मोहब्बत लोग चाँद से करते हैं।
क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ
ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है !
क्या करूँ मैं शिकायत भला इस चाँद की,
इस चाँद से ज्यादा इंतज़ार तो,
तुम करवाते हो।
कुछ तुम कोरे कोरे से कुछ हम सादे सादे से,
एक आसमां पर जैसे दो चाँद आधे आधे से !
कितना हसीन चाँद सा चेहरा है उस पर शबाब,
का रंग गहरा है खुदा को यकीन न था वफा पर,
तभी चाँद पर तारों का पहरा है !
काश हमारी क़िस्मत में ऐसी भी कोई शाम आ जाए
एक चाँद फ़लक पर निकला हो एक छत पर आ जाए।
काश मैं उनका अंबर
वो मेरी चांद बन जाए
कुछ इस तरह हम दोनों
एक दूजे के हो जाए..!
काश कोई ऐसी भी रात आए
एक चाँद आसमा में हो,
और दूसरा हमारे करीब आ जाए !
कड़ी धूप में भी हो
जाता है अंधेरा उसके
बिना वह शख्स मुझे
चांद से भी ज्यादा प्यारा है..!
ओढ़ ली है चाँद ने आज बादलो की चादर,
किसी के दिए अश्क़ छुपाने थे शायद।
ऐ चाँद बड़े उदास लगते हो,
कुछ खो गया है,
या किसी का इंतजार कर रहे हो।
ऐ चाँद तू भी क्या खूब सितम ढाता है,
मुझे उसका और उसे
किसी और का अक्स दिखाता है।
ऐ चाँद चला जा क्यो आया है मेरी चौखट पर,
छोड गये वो शख्स जिसकी याद मे हम तुझे देखा करते थे।
एक चाँद आसमान में है,जो दूर हो के भी दिखता है,
एक ज़मीन पर,जो पास हो के भी हमसे रूठा हुआ है।।
एक अदा आपकी दिल चुराने की
एक अदा आपकी दिल में बस जाने की
चेहरा आपका चाँद सा और एक
हसरत हमारी उस चाँद को पाने की !
ए चाँद आंखों के सामने ना आया कर,
हर रात मुझे उसकी याद ना दिलाया कर !
उसके चेहरे की चमक के सामने सादा लगा,
आसंमा पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा।
उतरी हो मेरे दिल मे एक हसीन चाँद सी,
बस कोई देखे तो तुझे मेरी नजर से।
इस रात की आदत भी कुछ मेरे मेहबूब जैसी है,
सुबह होते ही ये अपने चाँद को भूल जाता है।
इश्क़ रातो से था,
और हम दिन के हो बैठे,
थोड़ी सी धूप के लिए,
हम चाँद को खो बैठे।
इश्क़ करना है तो रात की तरह करो,
जिससे चाँद भी क़ुबूल और
उसके दाग भी क़ुबूल।
इतना खूबसूरत इत्तेफाक़ था,
रात अमावस्या की थी और चाँद मेरे पास था।
आसमाँ से चाँद लापता हैं,
और मेरी आँखों से नींद।
आसमाँ का वो चाँद भी खुद को ग्रहण लगा बैठा,
लगता है मेरे ज़मीन के चाँद से वो भी नजरे मिला बैठा।
आज-कल ये शहर अंजान हो चला है,
लगता है की चाँद को दाग हो चला है।
आज टूटेगा गुरुर चांद का तुम देखना यारो,
आज मैंने उन्हें छत पे बुला रखा है !
अहसान अगर करो तो किसी को खबर न हो,
सूरज का जैसे जिक्र नहीं चाँदनी क साथ !
चांद रात का सबसे चमकीला प्रकाश है। चांद की चांदनी बहुत ही मनोहारी और आकर्षक होती है। चांद के चरणों की कल्पना से ही कवियों को प्रेरणा मिली है।
जब चांद आसमान में निकलता है तो पूरा वातावरण ही बदल जाता है। चांदनी में सब कुछ रोमांटिक लगने लगता है। चांद की रोशनी में सैर करना, चांद को निहारना बड़ा सुकून भरा अनुभव होता है।
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सबसे ज्यादा सुंदर लगता है। ऐसे में उसकी चांदनी सारे आस-पास को जगमगा देती है। चांद की रोशनी में घूमना बहुत रोमांटिक होता है।
कवियों ने चंद्रमा को प्रेम का प्रतीक माना है। कई कविताओं में चांद से प्रेम, सौंदर्य और रोमांस की अभिव्यक्ति की गई है। चांद को प्रेमी-प्रेमिका का साक्षी माना जाता रहा है।
चांद के वैज्ञानिक महत्व के बारे में भी लोगों को जागरूक होना चाहिए। चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। इसके कारण ही पृथ्वी पर ज्वार-भाटा आदि प्राकृतिक घटनाएँ होती हैं।
चंद्र ग्रहण भी चांद से संबंधित एक वैज्ञानिक घटना है। प्राचीन काल में लोग चंद्र ग्रहण से डरते थे लेकिन आज हमें इसका वैज्ञानिक कारण पता है।
इस प्रकार, चांद केवल सौंदर्य और रोमांस का प्रतीक ही नहीं है बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। चांद को देखना, उसकी चांदनी का आनंद लेना हम सबको पसंद है। यह रात का सबसे खूबसूरत नज़ारा है।
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